भाषा, व्याकरण, लिपि और हिंदी
भाषा क्या है?
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर अथवा लिखकर अपने विचारों का आदान प्रदान करता है। भाषा के दो रूप हंै:-
- कथित/मौखिक भाषा- इसका संबंध सुनने और बोलने से है।
- लिखित भाषा- इसका संबंध लिखने से है।
रेडियो , दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम , बातचीत , भाषण , वाद-विवाद, कविता-पाठ या किसी घटना का वर्णन मौखिक भाषा के रूप हंै।
जब मनुष्य अपने भाव एवं विचार लिखकर प्रकट करता है तो वह लिखित रूप है। आपकी पाठ्य-पुस्तके , रामायण, महाभारत आदि ग्रंथ लिखित भाषा में हैं। भाषा के लिखित रूप के द्वारा ही हम अपने ज्ञान एवं अनुभवों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचा सकते हैं।
व्याकरणः-
प्रत्येक भाषा के अपने नियम होते हैं, ये नियम ही भाषा को एक निश्चित रूप प्रदान करते हंै। व्याकरण के नियम ही हमें भाषा के शुद्ध प्रयोग को सिखाते हंै।
उदाहरणः-
- (1) राम गाना गाती है। (अशुद्ध)
- (1) राम गाना गाता है। (शुद्ध)
’व्याकरण’ वह शास्त्र है जिसके द्वारा हम भाषा के नियमों को जानकर उसे शुद्ध लिखना, पढ़ना एवं बोलना सीखते हंै।
व्याकरण के मुख्य तीन भाग है-
- वर्ण व्यवस्था
- शब्द व्यवस्था
- वाक्य व्यवस्था
वर्ण विचारः- भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। व्याकरण के इस भाग में हम वर्णो की बनावट, उच्चारण आदि के बारे में जानेंगंे।
शब्द विचारः- व्याकरण के इस भाग में हम शब्दों की उत्पत्ति बनावट, प्रयोग, शब्दों के भेद आदि के बारें में जानेंगंे।
वाक्य विचारः- वाक्यों के प्रकार , भेद , प्रयोग आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हम व्याकरण के इस भाग का अध्ययन करेंगें।
लिपि (Script)
ध्वनियों को लिखित रूप में प्रकट करने के लिए जिन निश्चित चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उसे ’लिपि’ कहते हैं। हिन्दी की लिपि देवनागरी है।
हिन्दी भाषा
प्रत्येक राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा है उसी तरह भारत की पहचान हिन्दी भाषा से है। 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसलिए भारत में 14 सितम्बर ’हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसकी लिपि देवनागरी है।
आज हिन्दी का स्वागत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है। विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी का दूसरा स्थान है।